Tuesday, July 15, 2008

एक अहसास

रिश्तों का अहसास ,
ज़िन्दगी की खूबसूरती बयां करता है ,
जहाँ हर कदम ,
आदमी अपने ही जज़्बातों से डरता है /
इंसानी रिश्ते और उनका अहसास ,
अनजान होकर भी अपना सा लगता है ,
पर एक बार अपना बन जाने पर ,
बेवफ़ा बेगानों से भी अनजाना सा लगता है /
जब अपना साया भी साथ छोड़ जाए ,
अहसास ही साथ देता है ,
हर कदम हर मोड़ पर ,
अपनी पहचान छोड़ देता है /
अहसास की दुनिया में अपनों का साथ ,
किसी के साथ का अहसास ,
तकदीर नहीं ,
तदबीर की है आस /
यूँ तो बंद आँखों में ,
सपना सजता है ,
पर खुली आँखों में तो ,
अहसास जगता है /
अहसास जो एक लब्ज है ,
जज़्बातों की कहानी है ,
जिसका हर रंग ,
सादगी की जिंदगानी है /
लब्ज नहीं होते ,
तो भी अहसास होता ,
जुबां नहीं होती ,
तो भी अहसास होता /
क्यूंकि अहसास ही ,
ज़िन्दगी की पहचान है ,
अहसास ही ,
ज़िन्दगी की दास्ताँ है /
जहाँ ज़िन्दगी का हर रुख ,
अहसास के नाम है /
अगर अहसास के पंख होते ,
तो हर इंसान आबाद होता ,
दर्द के साये में भी ,
उसके सर पर ताज होता /

2 comments:

Anonymous said...

wah kya baat hai....this one is really nice and very true....

Vishal said...

Tumhari yeh kavita pad kar mujhe Ehsaas hua ki tumhari soch kitni gehri hai. I had to read it a couple of times to fully understand it. Beautifully worded !!!