विचार शब्दों के मोहताज नहीं,
इनकी अभिव्यक्ति का सम्बन्ध भावनाओं से है ,
बोद्विक मूल्यों से नहीं/
शब्दों के मोहताज बोद्विक मूल्य हो सकते हैं,
किंतु भावनाएँ कदापि नहीं /
भावनाएँ तो विमुक्त होती हैं जो विचरती हैं,
एक हृदय से दूसरे हृदय की तरंगों के माध्यम से ,
जिन्हें न कोई शब्द की,
न कोई भाषा की ,
और ना ही किसी स्वीकृति की जरुरत है /
ये तो दिल की गहराईओं से निकलते हैं,
और दिल की गहराईओं में ही समा जाते हैं /
1 comment:
Amazing thinking. u r genious...
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